दो पल की ज़िन्दगी है,
आज बचपन , कल जवानी,
परसों बुढ़ापा, फिर ख़त्म कहानी है|
चलो हंस कर जिए, चलो खुलकर जिए,
फिर ना आने वाली यह रात सुहानी,
फिर ना आने वाला यह दिन सुहाना |
कल जो बीत गया सो बीत गया,
क्यों करते हो आनेवाले कल की चिंता,
आज और अभी जिओ, दूसरा पल हो ना हो|
No comments:
Post a Comment